Diabetes : शुगर और डायबिटीज (Sugar aur Diabetes) में क्या अंतर है। बहुत सारे लोगों ने यह प्रशन बहुत बार पूछा है। तो आज मैं आपको बहुत ही विस्तार से शुगर (Sugar) और डायबिटीज(Diabetes) के बारे में बताऊंगा। चलिए पहले शुगर के बारे में जानते हैं। गलत खानपान की वजह से हमें शुगर की बीमारी होती है। हम जब खाना खाते हैं या चाय पीते हैं। तो हम चाय में एक्स्ट्रा शुगर डाल लेते हैं या जब हम खाना खाते हैं तो एक्स्ट्रा नमक डालते हैं। ये आदत बहुत ही गलत आदत है।
जिसकी बजह से यह शुगर की बीमारी धीरे-धीरे हमारे शरीर में पनपने लगती है और इस बात का आभास हमें नहीं होता है। क्योंकि यह बीमारी जब हम जवान होते हैं तो हमें पता नहीं चलता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है तो यह बीमारी अपना असली रूप दिखाने लगती है। शुगर के कारण दिल से संबंधित बीमारी, गुर्दे खराब हो जाना, और आंखों की समस्या होने लगती है। वैसे आपको बता दूं कि शुगर की बीमारी भी दो प्रकार की होती है। डायबिटीज टाइप-1 (Diabetes Type -1) और डायबिटीज टाइप-2 (Diabetes Type -2).
शुगर और डायबिटीज में क्या अंतर है | sugar aur diabetes mein kya antar hai
क्या है? टाइप-1 डायबिटीज (Diabetes Type -1) और टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2)
टाइप-1 डायबिटीज (Diabetes Type -1) : टाइप-1 डायबिटीज वंशागत हो सकती है। यानी कि अगर आपको आसान भाषा में समझाऊं तो अगर यह बीमारी आपके वंश में अगर पहले किसी को रही होगी। जैसे कि आपके पापा मम्मी दादा दादी या उससे भी पहले के लोगों को अगर थी। तो यह बीमारी आगे आपके बच्चों को हो सकती है और यह उस व्यक्ति के लिए आगे बहुत खतरनाक हो सकती है।
टाइप-1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन बनाना बंद ही कर देता है। यह ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें होता यह है कि शरीर की कोशिकाएं अग्नाशय की कोशिकाओं पर हमला करके खत्म कर देती है। ऐसे में डॉक्टर उस मरीज को इंसुलिन बनाने के लिए प्रेरित करते हैं और जरूरत पड़ने पर इंसुलिन भी देते हैं। यह बीमारी बहुत ही कम उम्र में या कभी-कभी जन्म से ही हो जाती है।
टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2) : 45 साल की उम्र के बाद टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। जिन परिबारों में डायबिटीज अनुवांशिक है। उनके सभी सदस्यों को विशेष तौर पर सावधान रहना चाहिए। डॉक्टर्स का मानना है कि टाइप-2 डायबिटीज खासकर मोटापे के शिकार लोगों पर ज्यादा हमला करती है। टाइप-2 डायबिटीज हाई बीपी, समय पर ना सोने वाले लोग, सुबह देर तक सोना, बहुत अधिक नशा करना और अन्य गलत खान-पान के कारण से भी हो सकती है।
जब किसी व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है तो वह व्यक्ति डायबिटीज टाइप-2 का शिकार हो जाता है। इसीलिए टाइप-2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन कम बनना या इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। डॉक्टर दबाओं के जरिए शरीर में इंसुलिन बनाने के लिए प्रेरित करते हैं और जरूरत पड़ने पर इंसुलिन इंजेक्शन से दी जाती है। तो यह था टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2).
टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2) के मामले आजकल ज्यादा आ रहे हैं। वैसे टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2) को खानपान और अच्छी जीवनशैली अपना कर भी ठीक किया जा सकता है और यह दवाइयां और इंसुलिन लेकर भी ठीक हो सकती है। तो ध्यान रखें अपनी जीवन शैली को बेहतर बनाएं और डायबिटीज से बचे रहें हो सके तो शराब, गुटखा, तमाकू, नशीली चीजों से बचकर रहें जिन लोगों शुगर की बीमारी है। ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करें, योगा करें और भी ऐसी अन्य तरह की बीमारियों से बचे रहें।
चाहे डायबिटीज टाइप-1 डायबिटीज (Diabetes Type -1) हो या टाइप-2 डायबिटीज (Diabetes Type -2) अपनी जीवनशैली को बेहतर बनायें और अपने खान पान को अच्छा रखें। आपसे बीमारियां कोसों दूर रहेंगी।
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आपने बोहत अच्छा आर्टिकल लिखा हैं आप चाहे तो इस
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